दिल ये मेरा, बस में नहीं : बर्फी

दिल ये मेरा, बस में नहीं
पहले कभी ऐसा होता था नहीं
तू ही बता इस दिल का मैं
अब क्या करूँ
कहने पे, चलता नहीं
कुछ दिनों से, मेरी भी सुनता नहीं
तू ही बता इस दिल का मैं
उफ्फ अब मैं क्या करूँ

करता आवारगी
इसपे तो धुन चढ़ी, है प्यार की
जाने गुम है कहाँ
बातों में है पड़ा, बेकार की
उलटी ये बात है
ऐसे हालात है
गलती करे ये, मैं भरूँ
उफ़ दिल का क्या करूँ
मैं क्या करूँ...

दिल पे मेरा काबू नहीं
फितरत कभी इसकी ऐसी थी नहीं
तू ही बता...

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