कुछ तो है तुझसे राबता : एजेंट विनोद



कहते हैं खुदा ने इस जहां में सभी के लिए
किसी ना किसी को है बनाया हर किसी के लिए
तेरा मिलना है उस रब का इशारा
मानो मुझको बनाया तेरे जैसे ही किसी के लिए

कुछ तो है तुझसे राबता
कुछ तो है तुझसे राबता
कैसे हम जानें, हमें क्या पता
कुछ तो है तुझसे राबता
तू हमसफ़र है, फिर क्या फिकर है


जीने की वजह यही है, मरना इसी के लिए
कहते हैं खुदा ने...


मेहरबानी जाते-जाते मुझपे कर गया
गुज़रता सा लम्हां एक दामन भर गया
तेरे नज़ारा मिला, रोशन सितारा मिला
तकदीर की कश्तियों को किनारा मिला
सदियों से तरसे हैं, जैसी ज़िन्दगी के लिए
तेरी सोहबत में दुआएं हैं उसी के लिए

तेरे मिलना है...

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