जो भी कस्में खाई थी हमने : राज़




जो भी कस्में खाई थी हमने
वादा किया था जो मिलके
तूने ही जीवन में लाया था मेरे सवेरा
क्या तुम्हे याद है
 दिन वो बड़े हसीन थे
रातें भी खुशनसीब थी
तूने ही जीवन में लाया था मेरे सवेरा
क्या तुम्हे याद है

जागे जागे रहते थे, खोए खोए रहते थे
करते थे प्यार की बातें
कभी तन्हाई में, कभी पूर्वाई में
होती थी रोज़ मुलाक़ातें
तेरी इन बाहों में, तेरी पनाहों में
मैने हर लम्हा गुज़ारा
तेरे इस चेहरे को, चाँद सुनहरे को
मैने तो जिगर में उतारा
कितने तेरे करीब था
मैं तो तेरा नसीब था
होंटो पे रहता था हर वक़्त बस नाम तेरा
क्या तुम्हे याद है

हां मुझे याद है
आ आ आ आ, आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ, आ आ आ

दिन के उजालों में, ख्वाबों ख़यालों में
मैने तुझे पल पल देखा
मेरी ज़िंदगानी तू, मेरी कहानी तू
तू है मेरे हाथों की रेखा
मैने तुझे चाहा तो, अपना बनाया तो
तूने मुझे दिल में बसाया
प्यार के रंगों से, बाहकि उमंगों से
तूने मेरा सपना सजाया
तेरे लबों को चुम्के
बाहों में तेरी झूमके
मैने बसाया था आँखों में तेरे बसेरा
क्या तुम्हे याद है
हां मुझे याद है

जो भी कस्में खाई थी हमने
वादा किया था जो मिलके
तूने ही जीवन में लाया था मेरे सवेरा
क्या तुम्हे याद है
हां मुझे याद है
हां मुझे याद है

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