होली है हेऽ होली आई रंग फूट पड़े ये छलक-छलक वो ढलक-ढलक फिर बाजे घुंघरू ढोल पड़े ये झनक-झनक वो धमक-धमक सब निकले हैं पी-पी के घड़े ये लपक-लपक वो धुमक-धुमक छम-छम नाचे परियों के धड़े ये थिरक-थिरक वो मटक-मटक ये छलक-छलक वो ढलक-ढलक ये झनक-झनक वो धमक-धमक ये लपक-लपक वो धुमक-धुमक ये थिरक-थिरक वो मटक-मटक हे हे ए ए हे ए ए हा हा हा हा हो हो हो हो देखो आई होली रंग लाई होली चली पिचकारी उड़ा है गुलाल खुल के है घटा मन झूम उठा रंग छलके हैं नीले और लाल २x रंगरेली में रंग खेलूँगी रंग जाऊँगी रंग गहरे हैं अबके साल अब हमें कोई रोके नहीं अब हमें कोई टोके नहीं अब होने दो हो जो भी हाल देखो आई होली रंग लाई होली चली पिचकारी उड़ा है गुलाल खुल के है घटा मन झूम उठा रंग छलके हैं नीले और लाल ओऽ भीगी चोली चुनरी भी गीली हुई सजना रे देखो मैं रंगीली हुई चोरी-चोरी तू जो नहीली हुई पतली कमर लचकीली हुई मन क्यूँ न बहके तक क्यूँ न दहके तुम रह-रह के होऽ मत फेंको ये नज़रों का जाल अब हमें कोई रोके नहीं अब हमें कोई टोके नहीं अब होने दो हो जो भी हाल देखो आई होली रंग लाई होली आज हुआ ये कैसा कमाल रंग ऐसे उड़े देखने में लगे कोई रंगे हवाओं के बाल चाँदी के थाल से ले के गुलाल अब राधा से खेलेंगे होली मुरारी राधा भी नट-खट है बनती तो झट-पट है मारी कन्हय्या को है पिचकारी हो ओ ४x चाँदी के थाल से ले के गुलाल अब राधा से खेलेंगे होली मुरारी राधा भी नट-खट है बनती तो झट-पट है मारी कन्हय्या को है पिचकारी देखने वाले तो दंग हुये हैं के होली में दोनों तो संग हुये हैं राधा-कान्हा एक रंग हुये हैं कौन है राधा कौन है कान्हा कौन ये सोचा कौन ये जाना होऽ ४x होली में जो सजनी से नैन लड़े थामी है कलाई के बात बढ़े तीर से जैसे मेरे मन में गड़े तेरी ये नजरिया जो मुझपे पड़े कोई रास रचे कोई धूम मचे कोई कैसे बचे हमसे पूछो न तुम ये सवाल अब हमें कोई रोके नहीं अब हमें कोई टोके नहीं अब होने दो हो जो भी हाल देखो आई होली रंग लाई होली चली पिचकारी उड़ा है गुलाल खुल के है घटा मन झूम उठा रंग छलके हैं नीले और लाल -२x अब हमें कोई रोके नहीं अब हमें कोई टोके नहीं अब होने दो हो जो भी हाल देखो आई होली रंग लाई होली चली पिचकारी उड़ा है गुलाल खुल के है घटा मन झूम उठा रंग छलके हैं नीले और लाल होली होली -५x
देखो आई होली रंग लाई होली : मंगल पांडे
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