मेरे महबूब मेरे इस दिल ने रात को दिन सुबह को शाम लिखा
इतना बेचैन कर दिया तुमने मैने ये खत तुम्हारे नाम लिखा
पहली पहली बार मोहब्बत की है
कुछ न समझ में आए मैं क्या करूं
इश्क़ ने मेरी ऐसी हालत की है
कुछ न समझ में आए मैं क्या करूं
पहली पहली बार ...
मेरा हाल बुरा है लेकिन तुम कैसी हो लिखना
मेरा छोड़ो जान मेरी अपना ख्याल तुम रखना
कोरे कागज़ पे मैने सारा अरमान निकाला
मेरे इस दिल में जो कुछ था खत में सब लिख डाला
हे हो पहली पहली बार शरारत की है
कुछ न समझ में ...
काश मेरा दिल भी कोई कागज़ का टुकड़ा होता
रात को तेरी बाहों में तकिये के नीचे सोता
हो केरल में गर्मी है नैनीताल से सर्दी भेजो
जो राहत पहुँचाए ऐसा कुछ बेदर्दी भेजो
बिन तेरी यादों के इक पल जीना है मुश्किल
कैसे लिख दूं कितना तुझको चाहे मेरा दिल
अपनी इक तस्वीर लिफ़ाफ़े में रखकर भिजवा दो
मैं खुद मिलने आऊंगी कुछ दिन दिल को समझा दो
तुम कितनी भोली हो
तुम कितने अच्छे हो
तुम कितनी सीधी हो
तुम कितने सच्चे हो
आ आ
पहली पहली बार ये चाहत की है
कुछ न समझ में ...
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