पिया बसंती रे
काहे सताए आजा
जाने क्या जादू किया
प्यार की धुन छेड़े जिया
काहे...
बादल ने अंगड़ाई ली जो कभी, लहराया धरती का आँचल
ये पत्ता-पत्ता, ये बूटा-बूटा, छेड़े है कैसी ये हलचल
मनवा ये डोले, जाने क्या बोले
मानेगा ना मेरा जिया
तेरे है हम तेरे पिया
काहे सताए...
पलकों के सिरहाने बैठे, ख्वाब वही जो आने वाले
दिल की गिरहा-गिरहा खोले, मन में प्यार जगाने वाले
सतरंगी सपने बोले रे
काहे सताए...
काहे सताए आजा
जाने क्या जादू किया
प्यार की धुन छेड़े जिया
काहे...
बादल ने अंगड़ाई ली जो कभी, लहराया धरती का आँचल
ये पत्ता-पत्ता, ये बूटा-बूटा, छेड़े है कैसी ये हलचल
मनवा ये डोले, जाने क्या बोले
मानेगा ना मेरा जिया
तेरे है हम तेरे पिया
काहे सताए...
पलकों के सिरहाने बैठे, ख्वाब वही जो आने वाले
दिल की गिरहा-गिरहा खोले, मन में प्यार जगाने वाले
सतरंगी सपने बोले रे
काहे सताए...
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